Top Shiv chaisa Secrets
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कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर,
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
॥ शंकर मेरा प्यारा, शंकर मेरा प्यारा…॥
पुत्र हीन Shiv chaisa कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
शिव मंदिर में दीप जला के करलो मन उजियारा…
शिव जी तो है बड़े दयालु देंगे दोनों हाथो से,
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
दोस्तों श्री शिव जी Shiv chaisa के लोकप्रिय भजन पर हमारी शोध एवं लेखन कार्य जारी है। अतिशीघ्र यहां पर आपको और भजन पढ़ने को मिलेगा। आपको श्री शिव जी का कौन सा भजन ज्यादा अच्छा लगता है, जरूर बताइएगा।